Wednesday, December 3, 2008

क्या मेरी नाक टेढ़ी है….
आँखें मेंढकी जैसी हैं….
सूरत से बेशरम लगता हूँ….
पागल हूँ…. अकल नही मुझे...
फिर... किसी ने ऐसा क्यों कहा कि…
मेरी सूरत तुमसे मिलती है........?
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गबरू - अर्ज़ किया है….
...बहार आने से पहले फिजा आ गई,
...बहार आने से पहले फिजा आ गई,
कि बहार आने से पहले फिज़े आ गई,
झबरू – अरे! आगे भी बोलो…pahla
गबरू – और फूल खिलने से पहले....
.... बकरी खा गई।
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पति – आज रात ठीक १२ बजे के बाद….
पत्नी (डरते हुए) – क्या होगा…?
पति - १ बजेगा…. और क्या होगा।
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इश्क मोहोब्बत तो सभी करते हैं,
गम-ऐ-जुदाई से वो सभी डरते हैं।
हम तो न इश्क करते हैं, न मोहब्बत करते हैं ,
बस अपनों की एक स्माइल के लिए यह पोस्ट करते हैं।