Thursday, December 18, 2008

पगली, यह मंदिर नहीं...

झबरू (गबरू से) - यार मेरी बीवी मु्झे और कुत्ते को एक ही नाम से बुलाती है।

गबरू - तो कैसे पता चलता है किसे बुला रही है?

झबरू - वह कुत्ते को प्यार से बुलाती है...
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अपनी कविता सुनाने के बाद कवि महाशय बोले - आपको मेरी कविता पसंद आई ?
एक श्रोता बोला - मुझे उसका अंत काफी सुंदर लगा।
कवि - किस जगह ?
श्रोता - जब आपने कहा कि कविता समाप्त हुई।

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भिखारी: भगवान के नाम पर एक रुपया दे दे...

आदमी: शर्म नहीं आती, सड़क पर खड़े होकर एक-एक रुपया मांग रहे हो।

भिखारी: तो क्या तेरे एक रुपये के लिए ऑफिस खोल के बैठूं!
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लड़का (लड़की से): जानेमन, इस दिल में आ जा ना!

लड़की (लड़का से): सैडल निकालू क्या?

लड़का : पगली, यह मंदिर नहीं...ऐसे ही आ जा।

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