Tuesday, July 21, 2009

...किस लिये जिंदा हो

गबरू - यार में सोच रहा हूँ की अमेरिका घूम आऊ
झबरू - कितने पैसे लगते है?
गबरू - कुछ भी नहीं

झबरू - कैसे ?
गबरू - सोचने के कभी पैसे दिए है ?

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गबरू - यार तू तो डॉक्टर के पास जाने वाला था ना?

झबरू - हाँ यार लेकिन आज तबीयत थोड़ी खराब लग रही
है, कल जाऊँगा

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एक बुजुर्ग अपनी जिंदगी का राज बता रहे थे..
मेरी उम्र 80 साल है मगर मैंने कभी सिगरेट नही पी, शराब नही पी, जुआ नही खेला और कभी किसी औरत की तरफ आंख उठाकर नही देखा।

सुनने वाला बोला- बाबा जी मुझे हैरत है कि फिर आप इतने साल से किस लिये जिंदा हो।

4 comments:

निर्मला कपिला said...

हाहा हा हा बहुत बडिया आभार

ओम आर्य said...

बहुत खुब......शुक्रिया

Udan Tashtari said...

हा हा!! सोचने के कैसे पैसे?? मस्त!!

BrijmohanShrivastava said...

प्रिय रवि _चुटकुलों का भी महत्त्व होता है आज के दौर में | आपके लिखने का अंदाज़ भी अच्छा है