Wednesday, May 13, 2009

कैसे हो?...मजे में



खिड़की से देखा तो रस्ते पे कोई नही था,
खिड़की से देखा तो रस्ते पे कोई नही था,
रस्ते पे जा के देखा तो खिड़की पे कोई नही था...


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जब बारिश होती है, तुम याद आते हो.
जब काली घटा छाई, तुम याद आते हो,
जब भीगते हैं, तुम याद आते हो,
बताओ मेरा छाता कब वापस करोगे?
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कैसे हो?
मज़े में?
तबियत कैसी है?
ऊँगली में दर्द नही न?
आँख भी ओ.के.?
दिमाग ठिकाने?


कमाल है यार, फ़िर तो कमेन्ट कर सकते हो!

Tuesday, May 12, 2009

मामू

वो आज भी हमे देख कर मुस्कुराते हैं।
वो आज भी हमे देख कर मुस्कुराते हैं॥
यह तो उनके बच्चे ही कमीने हैं,
जो मामा मामा कहके बुलाते हैं॥