खिड़की से देखा तो रस्ते पे कोई नही था,
खिड़की से देखा तो रस्ते पे कोई नही था,
रस्ते पे जा के देखा तो खिड़की पे कोई नही था...
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जब बारिश होती है, तुम याद आते हो.
जब काली घटा छाई, तुम याद आते हो,
जब भीगते हैं, तुम याद आते हो,
बताओ मेरा छाता कब वापस करोगे?
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कैसे हो?
मज़े में?
तबियत कैसी है?
ऊँगली में दर्द नही न?
आँख भी ओ.के.?
दिमाग ठिकाने?
कमाल है यार, फ़िर तो कमेन्ट कर सकते हो!
3 comments:
हा हा..
फण्डू... ह हा!
ठीक है जी...किए देते हैँ कमैंट...इसमें कौन सा टैक्स लग रहा है?...
बहुत बढिया...मज़ेदार
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