Wednesday, May 13, 2009

कैसे हो?...मजे में



खिड़की से देखा तो रस्ते पे कोई नही था,
खिड़की से देखा तो रस्ते पे कोई नही था,
रस्ते पे जा के देखा तो खिड़की पे कोई नही था...


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जब बारिश होती है, तुम याद आते हो.
जब काली घटा छाई, तुम याद आते हो,
जब भीगते हैं, तुम याद आते हो,
बताओ मेरा छाता कब वापस करोगे?
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कैसे हो?
मज़े में?
तबियत कैसी है?
ऊँगली में दर्द नही न?
आँख भी ओ.के.?
दिमाग ठिकाने?


कमाल है यार, फ़िर तो कमेन्ट कर सकते हो!

3 comments:

रंजन (Ranjan) said...

हा हा..

Vinay said...

फण्डू... ह हा!

राजीव तनेजा said...

ठीक है जी...किए देते हैँ कमैंट...इसमें कौन सा टैक्स लग रहा है?...


बहुत बढिया...मज़ेदार