मरीज डॉक्टर से - डॉक्टर साहेब, आप की दवा से मुझे कोई आराम नहीं हुआ. मेरी तवियत और भी खराब हो गयी.
डॉक्टर - तुमने दवा खा ली थी क्या?
मरीज - नहीं डॉक्टर साहब, दवा तो भरी थी.
डॉक्टर - अरे, तुमने दवा ली थी क्या?
मरीज - हाँ, डॉक्टर साहब, आप ने दवा दी थी और मैंने ली थी.
डॉक्टर - अरे, दवा पी ली थी क्या?
मरीज - नहीं डॉक्टर साहब, दवा तो लाल थी.
डॉक्टर - अरे, दवा को पी लिया था क्या ?
मरीज - नहीं डॉक्टर साहब, पीलिया तो मुझे था.
डॉक्टर - अरे यार, तुमने ढक्कन खोलकर मुह में दवा डाली थी क्या ?
मरीज - नहीं डॉक्टर साहब, आपने ही तो मना किया था कि सीसी का ढक्कन हमेशा बंद रखना.
डॉक्टर - तब तो तुम्हारा इलाज़ मै नहीं कर सकता.
मरीज - क्यों ?
डॉक्टर - क्योकि, तुम नासमझ हो.
मरीज - उस दिन एक केमिस्ट ने मुझे एक सलाह दी थी.
डॉक्टर - केमिस्ट तो कभी ठीक सलाह देते नहीं, लेकिन तुम बताओ क्या सलाह दी थी उसने?
मरीज - यही कि मै अपनी बिमारी का इलाज़ आप से कराऊं.
Wednesday, March 25, 2009
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6 comments:
हा हा हा ... बहुत बढिया।
वाह!
टुकडे टुकडे तो पहले कई बार सुने थे, पुरा किस्सा आज पता चला। सही है!
हा हा हा हा , हंसता रहूँ यूँ ही ।
वाह वाह
:)
अरे वाह आप बताओ दवाई पीली थी क्या
अच्छा लगा ऐसे ही गुदगुदाईए
हू...हा...हा...हा...हा
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